बैकवाटर्स : जल पर्यटन का आनन्द

    केरल के 'बैकवाटर्स" को भारत के पर्यटन का ह्मदय स्थल कहें तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। जी हां, जलक्रीड़ा या जलयात्रा का लुफ्त लेना हो तो 'बैकवाटर्स" से बेहतर कहीं कुछ नहीं।

   केरल सामान्यत: प्राकृतिक सौन्दर्य एवं प्राकृतिक धरोहर-सम्पदाओं से परिपूरित है। 'बैकवाटर्स" एक ऐसी ही प्राकृतिक सम्पदा है। 'बैकवाटर्स" को अनूप झीलें भी कहा जाता है।
  दक्षिण भारत के इस पर्यटन क्षेत्र में सैर-सपाटा, मौज मस्ती के साथ ही खानपान का भी आनन्द लिया जा सकता है। 'बैकवाटर्स" अरब सागर के समानान्तर करीब तीन दर्जन नदियों का संगम क्षेत्र है। केरल की उत्तर-दक्षिण लम्बाई का एक बड़ा हिस्सा पर्यटन क्षेत्र के तौर पर प्राकृतिक रूप से विकसित एवं संरचित है। वाटर दूर का असली आनन्द पर्यटकों को 'बैकवाटर्स" में ही मिलता है क्योंकि नदियों की जलयात्रा का सिलसिला कभी खत्म होते नहीं दिखता।
     'बैकवाटर्स" क्षेत्र में नहरों, झीलों, नदियों एवं समुद्री दायरा असीमित दिखता है। करीब नौ सौ किलोमीटर लम्बा जलमार्ग जलयात्रा का क्षेत्र एक रोमांचक अनुभव देता है। केरल की इन अनूप झीलों की यह एक अनूठी परिस्थितिक संरचना है। इस जलक्षेत्र के किनारे शहर भी हैं आैर विकसित गांव भी हैं। नदियों एवं झीलों के किनारे कतारवद्ध नारियल के वृक्ष बेहद मनोहारी लगते हैं। जलमार्ग में अठखेलियां करती नाव एवं स्टीमर्स एक अलग ही एहसास कराते हैं।
    खास यह कि माल वहन एवं पर्यटन समान तौर पर चलता रहता है। भारत का राष्ट्रीय जलमार्ग कोल्लम से कोट्टापुरम भी इसी 'बैकवाटर्स" क्षेत्र में है। अष्टमुडी झील पर्यटकों की खास पसंदीदा है। करीब दो सौ वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाली अष्टमुडी कोल्लम के निकट से प्रवाहित होती है। पर्यटक चाहें नौकायन करें या फिर स्टीमर से फर्राटा भरें।
    इसके आसपास नहरों का एक सघन एवं विस्तृत संजाल दिखता है। 'बैकवाटर्स" क्षेत्र में प्रवाहित नदियां भी अद्भुत एवं विलक्षण हैं। इस क्षेत्र में प्रवाहित कोई भी नदी लघु या छोटी नहीं। मसलन वालपट्टनम नदी की लम्बाई एक सौ दस किलोमीटर है। इसी प्रकार चलियार नदी सत्तर किलोमीटर, कदलुंदिपुड़ा नदी दो सौ दस किलोमीटर, चालाकुड़ी नदी एक सौ तीस किलोमीटर, पेरियर नदी दो सौ पैंतालिस किलोमीटर, पम्बा नदी पौने दो सौ किलोमीटर, अचनकोइल नदी सवा सौ किलोमीटर, कल्लदायार नदी एक सौ बीस किलोमीटर लम्बी हैं।
   इनके अलावा भी छोटी नदियों-नहरों की भी एक लम्बी श्रंखला है। खास यह है कि नदियों का मीठा जल सागर में गिर कर खारा हो जाता है लेकिन सागर का खारा जल नदियों में न मिलने पाये। इसके लिए पर्याप्त इंतजाम भी है। इसके लिए कोल्लम में नीन्दाकारा पर एक बांध है। इस विशाल जलक्षेत्र में जलीय जीव जन्तुओं की विभिन्न प्रजातियां पल्लवित होती हैं।
   इनमें केकड़े, मेढ़क, मछलियां, पंकलंघी आदि प्रचुर तादाद में पाये जाते हैं। जलीय पक्षी मसलन टर्न, किंगफिशर, डार्टर व जलकॉक भी हैं। उदबिलाव व कछुआ भी जलक्रीड़ा करते दिख जायेंगे। जलमार्ग के किनारे ताड़, केतकी सहित असंख्य सौन्दर्ययुक्त वृक्ष हैं।
     पर्यावरणीय सौन्दर्य पर्यटकों का खास पसंदीदा क्षेत्र है। कोलाहल मचाता समुद्र, शांत भूमि, हाथ में नारियल, नारियल के स्वादिष्ट जल का स्वाद एक सुखद आनन्द की अनुभूति कराता है। यह सबकुछ केरल के 'बैकवाटर्स" क्षेत्र में ही पर्यटकों को सुलभ है।
     'बैकवाटर्स" क्षेत्र के चाय बागान, मसाला बागान, हिल स्टेशन-पहाड़ी स्टेशन, वन्य जीव-अभ्यारण पर्यटकों के आनन्द को दोगुना कर देते हैं। आशय यह कि प्रकृति के हर अंदाज का लुफ्त पर्यटक 'बैकवाटर्स" में उठा सकते हैं। मसलन पहाड़ों व बादलों की लुकाछिपी का खेल भी मनोरम होता है। इस 'बैकवाटर्स" में हाउस बोट भी तैरते मिल जायेंेगे। 'बैकवाटर्स" के इन हाउस वोट्स में पर्यटक रात्रि विश्राम भी कर सकते हैं।
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